पुणे न्यूज डेस्क: जिले के कलेक्टर जितेंद्र डूडी ने गुरुवार को बैंकों की बैठक में सख्त लहजे में कहा कि वार्षिक ऋण योजना के सभी लक्ष्य तय समय पर पूरे किए जाएं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अब “फाइलें नहीं, परिणाम दिखने चाहिए।” कलेक्टर ने फसल ऋण और सरकारी योजनाओं — जैसे प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना, मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, और पीएम विश्वकर्मा योजना — के तहत ऋण वितरण को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया।
डीएम कार्यालय में हुई जिला स्तरीय सलाहकार समिति और समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि बैंकों को आवेदन नामंजूर करने के बजाय, लोगों की कागज़ी प्रक्रिया पूरी करने में मदद करनी चाहिए। बैठक में भारतीय रिज़र्व बैंक के अधिकारी अक्षय कोंडेकर, बैंक ऑफ महाराष्ट्र के रामचंद्र रागिरी, और अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे। डूडी ने कहा कि सरकारी योजनाओं का असली उद्देश्य रोजगार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है, इसलिए हर लंबित आवेदन पर तुरंत निर्णय लिया जाए।
कलेक्टर ने यह भी कहा कि बैंक अधिकारी अपनी शाखाओं में मार्गदर्शन बैठकें और प्रशिक्षण सत्र आयोजित करें, ताकि ऋण स्वीकृति प्रक्रिया तेज और पारदर्शी हो सके। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी योग्य व्यक्ति सिर्फ औपचारिकताओं के कारण वंचित न रह जाए। साथ ही, उन्होंने बैंकों को चेतावनी दी कि लक्ष्य पूरे न होने पर जवाबदेही तय की जाएगी।
अंत में, डूडी ने सामाजिक जिम्मेदारी पर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि बैंक आर्थिक साक्षरता मेलों का आयोजन करें, जिसमें लोगों को सरकारी योजनाओं की जानकारी, साइबर फ्रॉड से बचाव और वित्तीय प्रबंधन के तरीके बताए जाएं। उन्होंने कहा कि इन मेलों में महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए, ताकि वे न केवल जानकारी प्राप्त करें बल्कि आर्थिक रूप से सशक्त भी बनें।